Saturday, 10 May 2014

आँख आना [ Conjunctivitis ]

आँख आना [ Conjunctivitis ]
Conjunctivitis एक आम वायरल इन्फ़ेक्शन है जो कभी-कभी बैक्टीरिया से भी होता है , इसे आम भाषा में आँख आना कहते हैं |
आँख का लाल होना , दर्द होना और आँख से पानी आना इसके मुख्य लक्षण हैं | आँख आने पर आँखों में कुछ अटका हुआ सा प्रतीत होता है | इस रोग में आँख खोलने से भी दर्द होता है और रोग के बढ़ने पर गाढ़ा -गाढ़ा पदार्थ भी निकलता है इसलिए रात में पलकें चिपक जाती हैं, जोकि पीड़ादायक है |
यह एक संक्रामक रोग है , यह रोगी के तौलिये या रुमाल के इस्तेमाल से भी फैलता है | आज हम आपको इसके कुछ घरेलू उपचारों से अवगत कराते हैं :--
1- मुलहठी को दो घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। उसके बाद उस पानी में रुई डुबोकर पलकों पर रखें , ऐसा करने से आँखों की जलन व दर्द में आराम मिलता है |
2 -आधे गिलास पानी में दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण दो घंटे भिगोकर रखें | अब इसे छान लें ,इस पानी से दिन में 3 -4 बार छींटें मारकर आँखें धोने से लाभ होता है |
3 -नीम के पानी से आँख धोने के बाद आँखों में गुलाबजल डालें लाभ होगा |
4 -हरी दूब (घास ) का रस निकालें अब इस रस में रुई भिगोकर पलकों पर रखें ,आँखों में ठंडक मिलेगी |
5 -हरड़ को रात भर पानी में भिगोकर रखें | सुबह उस पानी को छानकर उससे आँख धोएं , आँखों की लाली और जलन दूर होगी |
6 -दूध पर जमी मलाई उत्तर लें, अब इसे दोनों पलकों पर रख कर ऊपर से रुई रखकर पट्टी बांध दें | यह प्रयोग रात को सोते समय करें ,लाभ होगा |
7- प्रातःकाल उठते ही अपना बासी थूक भी संक्रमित आँखों पर लगा सकते हैं |

Thursday, 8 May 2014

प्याज़ सरल और रोचक प्रयोग

प्याज़ से सभी परिचित हैं इसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है | आज हम आपको इसके कुछ सरल और रोचक प्रयोग बता रहे हैं -----
प्याज़ कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण करती है फलस्वरूप खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घट जाता है , प्रातःकाल खाली पेट कच्चे प्याज़ का एक चम्मच रस लें , लाभ होगा |
प्रतिदिन कच्चा प्याज़ भोजन के साथ लेने से कब्ज़ रोग ठीक हो जाता है |
सफ़ेद प्याज़ के रस मे बारबर मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से दमा रोग में लाभ होता है |
प्याज़ और सिरका मिलाकर चटनी बनाकार ख़ाने से लू लगने से राहत मिलती है |
प्याज़ में नमक डालकार खाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है |
नोट -- कच्ची प्याज़ खाने के बाद मुख से आने वाली गंध को थोड़ा सा गुड़ खाकर दूर किया जा सकता है |

Wednesday, 7 May 2014

लौकी
हमारे देश मे कुछ सब्जियां लोग बड़े ही चाव से खाते और खिलाते हैं ,अर्थात खुद तो फायदे लेते ही हैं ,औरों के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखते हैं। सब्ज़ी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है।
वास्तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्ज़ी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। लौकी को कच्चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है । लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्धक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है। अंग्रेजी में बाटल गार्ड के नाम से प्रचलित इसके बारे में कहा जाता है, कि मनुष्य द्वारा सबसे पहले उगाई गयी सब्ज़ी लौकी ही थी। प्रोटीन,फाइबर ,मिनरल,कार्बोहाइड्रेट से भरपूर इसके औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं-
1-इसे उबाल कर कम मसालों के साथ सब्ज़ी बनाकर खाने पर यह मूत्रल (डायूरेटीक), तनावमुक्त करनेवाली (सेडेटिव) और पित्त को बाहर निकालनेवाली औषधि है।
2- हृदय रोग में, एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
3- इसका जूस निकालकर नींबू के रस में मिलाकर एक गिलास की मात्रा में सुबह सुबह पीने से यह प्राकृतिक एल्कलाएजर का काम करता है ,और कैसी भी पेशाब की जलन चंद पलों में ठीक हो जाती है।
4- हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
5 -अगर डायरिया के मरीज को केवल लौकी का जूस हल्के नमक और चीनी के साथ मिलकर पिला दिया जाय तो यह प्राकृतिक जीवन रक्षक घोल बन जाता है।
6-लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटैशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
7-लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रोल को कम करता है तथा हृदय को शक्ति देता है। यह रक्त की नाड़ियों को भी स्वस्थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।
8-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।
9-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
10- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्ज़ी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
तो लौकी इस नाम क़ी सब्ज़ी को इसके नाम से हल्का न समझें, इसके गुण बड़े भारी हैं ,लेकिन शरीर पर प्रभाव बड़ा ही हल्का और सुखदाई है।
सावधानी - जूस निकालने से पहले लौकी का एक छोटा टुकड़ा काटकर उसे चख लेना चाहिए। अगर वह कड़वा हो तो लौकी का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

Sunday, 4 May 2014

गुणकारी खरबूजा


स्वादिष्ट होने के साथ ही गुणकारी भी है खरबूजा

इसे खाने के अनोखे फायदे
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खरबूजा गर्मी के मौसम में आने वाला एक ऐसा फल है, जिसका स्वाद और सुगंध दोनों अपने आप में अलग ही होती है। यह सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी के साथ विटामिन और मिनरल्स भी पाए जाते हैं।


Photo: स्वादिष्ट होने के साथ ही गुणकारी भी है खरबूजा

 इसे खाने के अनोखे फायदे
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खरबूजा गर्मी के मौसम में आने वाला एक ऐसा फल है, जिसका स्वाद और सुगंध दोनों अपने आप में अलग ही होती है। यह सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी के साथ विटामिन और मिनरल्स भी पाए जाते हैं।

गर्मी के इस मौसम में अपने शरीर से पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन एक बेहतर विकल्प है। यह एक्जिमा में भी बहुत लाभकारी होता है। इसके बीज में प्रोटीन और तेल काफी मात्रा में होता है।

पुरानी खाज में खरबूजे का रस लाभदायक है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। खरबूजे के सेवन से पेट की जलन शांत होती है। खरबूजे से कब्ज व एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है। चलिए, आज जानते हैं गर्मी में खरबूजा खाने से होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में...

त्वचा को बनाएं जवान- खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी व विटामिन ए पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है। 

कैंसर से बचाता है- 
खरबूजे में आर्गेनिक पिगमेंट केरोटीनाइड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाने के साथ ही किसी भी तरह के कैंसर की संभावना को भी कम कर देता है। 

दिल को सुरक्षित रखता है-

खरबूजे में एडेनोसीन नामक एंटीकोएगुलेंट पाया जाता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और खून का थक्का नहीं जमने देता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां दूर ही रहती हैं।

पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है- 

खरबूजा कब्ज की समस्या दूर करता है। अगर आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो खरबूजा खाइए। खरबूजे में मौजूद पानी की मात्रा भोजन के पाचन में सहायक होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर कर पाचन प्रक्रिया दुरुस्त कर देते हैं।

चेहरा चमकने लगता है- 

स्किन में कनेक्टिव टिशू पाए जाते हैं। खरबूजे में पाया जाने वाले कोलाजन प्रोटीन इन कनेक्टिव टिशू में कोशिका की संरचना को बनाए रखता है। कोलाजन से जख्म भी जल्दी ठीक होते हैं और त्वचा को मजबूती मिलती है। अगर आप लगातार खरबूजा खाएंगे तो चेहरा चमकने लगेगा।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखता है- 

खूरबूजे में डाइयुरेटिक (मूत्रवर्धक) क्षमता काफी अच्छी होती है। इस कारण इससे किडनी की बीमारियां ठीक होती हैं और यह एक्जिमा को कम करता है। अगर खरबूजे में नींबू मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो इससे गठिया की बीमारी भी ठीक हो सकती है।

ऊर्जा को बढ़ाता है- 

खरबूजे में विटामिन बी पाया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। शुगर और कार्बोहाइड्रेट को संसाधित करने में यह ऊर्जा शरीर के लिए आवश्यक होती है।

वजन कम करने में होता है मददगार

जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें गर्मी में रोज खरबूजे का सेवन करना चाहिए। इसमें काफी कम मात्रा में सोडियम पाया जाता है। साथ ही, यह फैट और कोलेस्ट्रोल से भी मुक्त होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। एक कप खरबूजे में सिर्फ 48 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसीलिए यह बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है।

आंखों को स्वस्थ बनाता है-
 
खरबूजे में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। साथ ही, इसमें बीटा-केरोटीन भी पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से आंखें स्वस्थ रहती हैं और आंखों से जुड़ा कोई रोग परेशान नहीं करता है।

तनाव से मुक्ति दिलाता है-

खरबूजे में काफी मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। पोटेशियम दिल को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

डायबिटीज में भी है फायदेमंद-

डायबिटीज के रोगियों के लिए खरबूजा बहुत फायदेमंद होता है। माना जाता है कि जो डायबिटीज रोगी गर्मी में रोज एक गिलास खरबूजे का जूस लेते हैं, उनका कोलेस्ट्राल हमेशा कंट्रोल में रहता है।
गर्मी के इस मौसम में अपने शरीर से पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन एक बेहतर विकल्प है। यह एक्जिमा में भी बहुत लाभकारी होता है। इसके बीज में प्रोटीन और तेल काफी मात्रा में होता है।

पुरानी खाज में खरबूजे का रस लाभदायक है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। खरबूजे के सेवन से पेट की जलन शांत होती है। खरबूजे से कब्ज व एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है। चलिए, आज जानते हैं गर्मी में खरबूजा खाने से होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में...

त्वचा को बनाएं जवान- खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी व विटामिन ए पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है।

कैंसर से बचाता है-
खरबूजे में आर्गेनिक पिगमेंट केरोटीनाइड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाने के साथ ही किसी भी तरह के कैंसर की संभावना को भी कम कर देता है।

दिल को सुरक्षित रखता है-

खरबूजे में एडेनोसीन नामक एंटीकोएगुलेंट पाया जाता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और खून का थक्का नहीं जमने देता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां दूर ही रहती हैं।

पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है-

खरबूजा कब्ज की समस्या दूर करता है। अगर आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो खरबूजा खाइए। खरबूजे में मौजूद पानी की मात्रा भोजन के पाचन में सहायक होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर कर पाचन प्रक्रिया दुरुस्त कर देते हैं।

चेहरा चमकने लगता है-

स्किन में कनेक्टिव टिशू पाए जाते हैं। खरबूजे में पाया जाने वाले कोलाजन प्रोटीन इन कनेक्टिव टिशू में कोशिका की संरचना को बनाए रखता है। कोलाजन से जख्म भी जल्दी ठीक होते हैं और त्वचा को मजबूती मिलती है। अगर आप लगातार खरबूजा खाएंगे तो चेहरा चमकने लगेगा।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखता है-

खूरबूजे में डाइयुरेटिक (मूत्रवर्धक) क्षमता काफी अच्छी होती है। इस कारण इससे किडनी की बीमारियां ठीक होती हैं और यह एक्जिमा को कम करता है। अगर खरबूजे में नींबू मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो इससे गठिया की बीमारी भी ठीक हो सकती है।

ऊर्जा को बढ़ाता है-

खरबूजे में विटामिन बी पाया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। शुगर और कार्बोहाइड्रेट को संसाधित करने में यह ऊर्जा शरीर के लिए आवश्यक होती है।

वजन कम करने में होता है मददगार

जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें गर्मी में रोज खरबूजे का सेवन करना चाहिए। इसमें काफी कम मात्रा में सोडियम पाया जाता है। साथ ही, यह फैट और कोलेस्ट्रोल से भी मुक्त होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। एक कप खरबूजे में सिर्फ 48 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसीलिए यह बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है।

आंखों को स्वस्थ बनाता है-

खरबूजे में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। साथ ही, इसमें बीटा-केरोटीन भी पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से आंखें स्वस्थ रहती हैं और आंखों से जुड़ा कोई रोग परेशान नहीं करता है।

तनाव से मुक्ति दिलाता है-

खरबूजे में काफी मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। पोटेशियम दिल को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

डायबिटीज में भी है फायदेमंद-

डायबिटीज के रोगियों के लिए खरबूजा बहुत फायदेमंद होता है। माना जाता है कि जो डायबिटीज रोगी गर्मी में रोज एक गिलास खरबूजे का जूस लेते हैं, उनका कोलेस्ट्राल हमेशा कंट्रोल में रहता है।

नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकत्सक से सलाह लेना उचित होगा।

दांत दर्द

दांत दर्द
दांत दर्द कई कारणों से होता है मसलन किसी तरह के संक्रमण से या डाईबिटिज की वजह से या ठीक ढंग से दांतों की साफ सफाई नहीं करते रहने से। यूँ तो दांत दर्द के लिए कुछ ऐलोपैथिक दवाइयां होती हैं लेकिन उनके बहुत हीं कुप्रभाव होते हैं जिसकी वजह से लोग चाहते हैं की कुछ घरेलू उपचार से इसे ठीक कर लिया जाये। अगर आप भी दांत दर्द से परेशान है एवं इसके उपचार के लिए प्रभावकारी घरेलू उपाय चाहते हैं तो नीचे दिए गए उपायों पर अमल करें।

हींग - जब भी दांत दर्द के घरेलू उपचार की बात की जाती है, हींग का नाम सबसे पहले आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह दांत दर्द से तुरंत मुक्ति देता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसन है। आपको चुटकी भर हींग को मौसम्मी के रस में मिलाकर उसे रुई में लेकर अपने दर्द करने वाले दांत के पास रखना है। चूँकि हींग लगभग हर घर में पाया जाता है इसलिए दांत दर्द के लिए यह उपाय बहुत सुलभ, सरल एवं कारगर माना जाता है।

लौंग -- लौंग में औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु (जर्म्स, जीवाणु) का नाश करते हैं। चूँकि दांत दर्द का मुख्य कारण बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का पनपना होता है इसलिए लौंग के उपयोग से बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का नाश होता है जिससे दांत दर्द गायब होने लगता है। घरेलू उपचार में लौंग को उस दांत के पास रखा जाता है जिसमें दर्द होता है। लेकिन दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य की जरुरत होती है।

प्याज -- प्याज (कांदा ) दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। ऐसा करने के कुछ हीं देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा।

लहसुन -- लहसुन भी दांत दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। असल में लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो अनेकों प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखते हैं। अगर आपका दांत दर्द किसी प्रकार के संक्रमण की वजह से होगा तो लहसुन उस संक्रमण को दूर कर देगा जिससे आपका दांत दर्द भी ठीक हो जायेगा। इसके लिए आप लहसुन की दो तीन कली को कच्चा चबा जायें। आप चाहें तो लहसुन को काट कर या पीस कर अपने दर्द करते हुए दांत के पास रख सकते हैं। लहसुन में एलीसिन होता है जो दांत के पास के बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देता है। लेकिन लहसुन को काटने या पीसने के बाद तुरंत इस्तेमाल कर लें। ज्यादा देर खुले में रहने देने से एलीसिन उड़ जाता है जिससे बगैर आपको ज्यादा फायदा नहीं होता।

गरारे (गार्गल) करें
गरारे भी दांत दर्द दूर करने का एक अति उत्तम घरेलू उपाय है। हल्के गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें। ऐसे नमकीन पानी से दिन में दो चार बार कुल्ला किया करें। नमक के संपर्क में आने के बाद मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया नष्ट हो जाते हैं जिसकी वजह से आपको दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
सलाह
जब दांत दर्द हो तब मीठे पदार्थ खाने या पीने से परहेज करें क्योंकि ये बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को और बढ़ावा देते है जिनसे आपकी तकलीफ और बढती है

भिन्डी

भिन्डी --

भिंडी- भिन्डी को तो शायद ही कोई हो जो पसंद न करता हो आपको भिन्डी के बारे में यह सेहत का खजाना होती है| भिन्डी में पेक्टोस होने की वजह से यह क्षारीय होती है और जिलेटिन की वजह से एसिडिटी, अपच के शिकार लोगों को ठंडक पहुंचाती है। जिन लोगों को पेशाब से सम्बंधित समस्याएं होती है, उन्हें डॉक्टर खासतौर से भिंडी खाने की हिदायत देते है।

1- भिन्डी में विटामिन ए, बी, सी बहुत ही प्रचुर मात्रा में पाया जाता है .इसमे प्रोटीन और खनिज लवणों का एक अच्छा स्रोत है .
2- भिन्डी गैस्टिक , अल्सर के लिए प्रभावी दवा हैं .
3- मृदुकारी भिन्डी संवेदनशील बड़ी आंत की सतह की रक्षा करती हैं .जिससे ऐठन रुक जाती हैं .इसके सेवन से आंत में जलन नहीं होती हैं .
4- भिन्डी के लस के नियमित सेवन से गले , पेट .मलाशय और मूत्रमार्ग में जलन नहीं होती हैं .
5- भिन्डी का काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं .
6- बीजरहित ताजा दो भिन्डी प्रतिदिन खाने से श्वेतप्रदर, नंपुसकता, धातु गिरना रोकने में सहायक हैं .
7- इसमें मौजूद विटामिन बी , गर्भ को बढ़ने में मदद करता है और जन्मजात विकृतियों को रोकता है.
8- मधुमेह में इसके रेशे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते है.
9- इसका विटामिन सी श्वास रोगों से बचाता है.
10 - इसके सेवन से त्वचा अच्छी दिखती है. भिन्डी को उबाल कर , मसल कर इसे त्वचा पर थोड़ी देर लगा कर रखे. धोने के बाद आप पायेंगे की त्वचा बहुत मुलायम और ताजगी भरी लग रही है.
11- इसका सेवन कालोन कैंसर से बचाता है. इसका विटामिन ए म्यूकस मेम्ब्रेन बनाने में मदद करता है , जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है.
12- इसके नियमित सेवन से किडनी की सेहत में सुधार होता है.
13- मोटापे को दूर करता है. कई बार शरीर में विटामिन्स की कमी से ज़्यादा खाने का मन करता है. इसलिए भिन्डी में मौजूद विटामिन्स उसकी कमी को दूर कर अनावश्यक भूक को मिटाते है.
14- इसका विटामिन के हड्डियों को मज़बूत बनाता है. यह रक्त की कमी को भी दूर करता है.
15- कोलेस्ट्रोल को कम करती है.
16- इसके विटामिन्स आँखों , बाल और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते है.
17- यह गर्मी से बचाती है.

♥ ज्वार ♥

ज्वार ----

गेहूं की रोटी का बेहतर विकल्प है मोटे अनाज में ज्वार की रोटी। यह पोटेशियम और फास्फोरस के साथ ही कैल्शियम और आयरन से भरपूर है। यह वजन बढ़ने और हृदय विकार जैसे आर्टरीज में होने वाले ब्लॉकेज को रोकने में मददगार है।गर्मियों में ज्वार की रोटी , छाछ या कढी के साथ या साग के साथ सेवन करने से ठंडक देती है. तो हो जाए ज्वारी रोटी !!!!!!
ज्वार बहुत पौष्टिक होता है। इसमें बहुत ज्यादा फाइबर है। यह आटे की तरह लसलसा नहीं होता, जिससे यह डायबिटीज, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाव में मदद देता है। यह हड्डियों और दांतों को भी मजबूत बनाता है।
ज्वार बवासीर और घावों में लाभदायक है। ज्वार की रोटी नित्य छाछ में भिगोकर खाएँ। शरीर बलवान होता है।
यह आटा गेहूं के आटे से कई गुना बेहतर होता है। ज्वार के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह ग्लुटेन रहित और नॉन एलर्जिक होता है। यह फाइबर, फॉस्फोरस और आयरन का भंडार है। इसमें अल्कालाइन नहीं होता, जिससे यह आसानी से पच जाता है। ज्वार विटमिन बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्त्रोत है। शाकाहारी लोगों के लिए ज्वार का आटा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। शोध बताते हैं कि यह कुछ खास प्रकार के कैंसर के खतरों को भी कम करता है। साथ ही यह हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए आटे का अच्छा विकल्प है।

स्किन एलर्जी: क्या करें, क्या नहीं


 

पिछले दिनों आई एक स्टडी के मुताबिक सेलफोंस स्किन एलर्जी की खास वजह बनते जा रहे हैं. खासकर यंगस्टर्स में यह समस्या इसलिए भी बड़ी होती जा रही है, क्योंकि वे मोबाइल पर घंटों बातें करने में जुटे रहते हैं. बता दें कि सेलफोन में मौजूद निकल इस एलर्जी की वजह होती है. इस एलर्जिक रिएक्शन की वजह से गालों, कानों और जॉ लाइन पर ड्राई और इचिंग वाले पैचेज पड़ जाते हैं.स्किन एलर्जी से निजात पाना आसान नहीं होता. दरअसल, कई बार डॉक्टरों के लिए भी यह समझना मुश्किल हो जाता है कि स्किन एलर्जी की सही वजह क्या है.. जानिए इस बारे में एक्सपर्ट्स की राय-
वैसे भी यंगस्टर्स में स्किन एलर्जी की प्रॉब्लम कुछ ज्यादा ही होती है. गौरतलब है कि आपको ऐसी एलर्जी किसी भी वजह से हो सकती है. हम यहां उनमें से कुछ कॉमन एलर्जीज की बात करते हैं.
स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. दीपक सहगल की मानें, तो यूथ में मेटल एलर्जी और निकल एलर्जी सबसे कॉमन है, बता दें कि यह आर्टिफिशल जूलरी, बेल्ट के बकल्स वगैरह से होती है. कभी-कभी गोल्ड से भी एलर्जी हो सकती है. अगर आपको ऐसी एलर्जी है तो जरूरी होने पर आर्टिफिशल जूलरी बस 1-2 घंटे के लिए ही यूज करें. बेल्ट लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी बकल ऐसी हो, जो स्किन को टच ना करें। छोटी बकल वाली बेल्ट लें.
वॉटर एलर्जी
अक्सर स्किन को वॉटर पॉल्यूशन से भी बचाने की जरूरत होती है. एक्सपर्ट की सलाह होती है कि ऐसे में आप पीने के पानी को क्लोरीन जैसे दूसरे टॉक्सिंस से बचाकर रखें. स्विमिंग पूल्स में भी घंटों समय बिताने से बचें.
कॉस्मेटिक्स एलर्जी
आउटडेटेड कॉस्मेटिक्स और फ्रैगरेंटेड कॉस्मेटिक्स में भी एलर्जी के एलिमेंट्स होते हैं. डिओ और परफ्यूम में भी ये मौजूद होते हैं. एक्सपर्ट ऐसे में इस बात का ध्यान रखने को कहते हैं कि परफ्यूम किसी अच्छे ब्रैंड का हो. हेयर कलर में भी केमिकल्स होते हैं , जिससे एलर्जी हो सकती है. इसलिए कलरिंग करते समय इस बात का खयाल रखें कि कलर स्कैल्प को टच ना करे.
फूड एलर्जी
कई बार फूड एलर्जी से भी स्किन पर रैशेज हो जाते हैं. हालांकि यह ज्यादा लंबी नहीं चलती है. बकौल डॉ . सहगल , अक्सर इसकी वजह आर्टिफिशिल कलर भी होते हैं. ऐसे में , बेहतर होगा कि ताजा कुक्ड फूड खाएं. पैक्ड फूड को अपनी डाइट में शामिल न करें और प्रिजर्वेटिव से बचने की कोशिश करें.
मॉइश्चराइजिंग सनस्क्रीन
डायरेक्ट सनलाइट के लगातार एक्सपोजर से भी स्किन खूब ड्राई हो जाती है , जिससे इसमें बर्निंग और इचिंग सेंसेशन होने लगती है. इसके अलावा हवा और पानी में मौजूद स्मोक , डस्ट और पॉल्यूटेंट्स से भी स्किन में इरिटेशन हो सकती है. ऐसे में कुछ खास बातों का हमेशा ध्यान रखें.
सीनियर कॉस्मेटिक सर्जन डॉ . प्रदीप शाह सलाह देते हैं , दिन में घर से बाहर निकलने से पहले स्किन पर हमेशा मॉइश्चराइजिंग सनस्क्रीन लोशन अप्लाई करें.
दरअसल , एक अच्छा सनस्क्रीन नुकसानदायक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से बचाता है और स्किन को ज्यादा ड्राई होने से भी बचाता है. और हां , ऐसे में आपको फ्रिक्वेंट इंटरवल पर अपना फेस ठंडे पानी से धोना चाहिए. इससे ऑयल , डस्ट पार्टिकल्स और पसीना धुल जाते हैं. साथ ही, स्किन नेचरली हाईड्रेट हो जाती है.
बहुत ज्यादा कॉस्मेटिक्स भी यूज करने से बचें. इसके अलावा, कॉफी , सिगरेट और अल्कोहल लेना कम कर दें, क्योंकि स्किन पर एलर्जिक रिएक्शन जल्दी होते हैं.
ड्रग्स एलर्जी
किसी भी ऐज में ड्रग एलर्जी हो सकती है. यह बेहद कॉमन है. डॉ . सहगल बताते हैं कि किसी खास एंटीबायोटिक या पेनकिलर से भी स्किन पर रैशेज हो जाते हैं. अगर आप अस्थमा वाली फैमिली से हैं , तब भी एलर्जी हो सकती है. इसके अलावा , अगर आप एचआईवी पॉजिटिव हैं , तो आपको एलर्जी होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं.
नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकत्सक से सलाह लेना उचित होगा।

अश्वगंधा-Winter Cherry ,हृदय शूल

सामान्य परिचय : सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेषकर शुष्क प्रदेशों में असगंध के जंगली या कृषिजन्य पौधे 5,500 फुट की ऊंचाई तक पाये जाते हैं। इसके जंगली पौधे की अपेक्षा कृषिजन्य पौधे गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होते हैं, परंतु तेल आदि के लिए जगंली पौधे ही उपयोगी होते हैं। यह देश भेद से कई प्रकार की कही गई है, परंतु असली असगंध के पौधे को मसलने पर घोड़े के मूत्र जैसी गंध आती है जो इसकी ताजी जड़ में अपेक्षाकृत अधिक होती है।
स्वरूप : असगंध (अश्वगंधा) का झाड़ीदार पौधा 60 से 90 सेमी तक लंबा होता है। इसकी जड़ ही औषधि रूप में प्रयोग की जाती है। इसकी जड़ अन्दर से सफेद, कड़ी, मोटी-पतली और 10 से 15 सेमी के लगभग लंबी होती है। इसकी जड़ को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। इसके पौधे पर 5-5 फूलों के गुच्छे पीले या लाल रंग के होते हैं तथा बीज पीले रंग के छोटे, चिपटे और चिकने होते हैं।
विभिन्न भाषाओं नाम :

संस्कृत                  अश्वगंधा, वराहकर्णी
हिंदी                 असंगध, अश्वगंधा
गुजराती           आसंध, घोड़ा आहन, घोड़ा आकुन
मराठी                   आसंध, डोरगुंज
बंगाली              अश्वगंधा
तेलगू                पनेरू
अंग्रेजी              वीनटर चेरी

रासायनिक संघटन : असगंध की जड़ में एक उड़नशील तेल तथा बिथेनिओल नामक तत्व पाया जाता है। इसके अलावा सोम्मीफेरिन नामक क्रिस्टेलाइन एल्केलायड एवं फाइटोस्टेरोल आदि तत्व भी पाये जाते हैं।
गुण-धर्म : यह कफ वातनाशक, बलकारक, रसायन, बाजीकारक, नाड़ी-शक्तिवर्द्धक तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला होता है।

हानिकारक : गर्म प्रकृति वालों के लिए अश्वगंधा का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : गोंद, कतीरा एवं घी इसके गुणों को सुरक्षित रखते हुए, दोषों को कम करता है।
औषधीय उपयोग :
गंडमाला (Goitre)-असंगध के नये कोमल पत्तों को समान मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर तथा पीसकर झाड़ी के बेर जितनी गोलियां बना लें। इसे सुबह ही एक गोली बासी पानी के साथ निगल लें और असगंधा के पत्तों को पीसकर गंडमाला पर लेप करें।
हृदय शूल-
  1. वात के कारण उत्पन्न हृदय रोग में असगंध का चूर्ण दो ग्राम गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
  2. असगंध चूर्ण में बहेड़े का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ लेने से हृदय सम्बंधी वात पीड़ा दूर होती है।
क्षयरोग (टी.बी.)-
  1. 2 ग्राम असंगध के चूर्ण को असगंध के ही 20 ग्राम काढ़े के साथ सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
  2. 2 ग्राम असगंध की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से क्षय रोग (टी.बी.) मिटता है।
खांसी-
  1. असगंध (अश्वगंधा) की 10 ग्राम जड़ को कूट लें, इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएं, जब 8वां हिस्सा रह जाये तो इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात जन्य खांसी पर विशेष लाभ होता है।
  2. असगंध के पत्तों का काढ़ा 40 ग्राम, बहेडे़ का चूर्ण 20 ग्राम, कत्था का चूर्ण 10 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम, लगभग 3 ग्राम सेंधा नमक को मिलाकर लगभग आधा ग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सभी प्रकार की खांसी दूर होती है। टी.बी. खांसी में भी यह लाभदायक है।

गर्भधारण-
  1. अश्वगंधा का चूर्ण 20 ग्राम, पानी 1 किलो तथा गाय का दूध 250 ग्राम तीनों को हल्की आंच पर पकाकर जब दूध मात्र शेष रह जाये तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाकर मासिक-धर्म की शुद्धिस्नान के 3 दिन बाद 3 दिन तक सेवन करने से स्त्री अवश्यगर्भ धारण करती है।
  2. अश्वगंधा का चूर्ण, गाय के घी में मिलाकर मासिक-धर्म स्नान के पश्चात् प्रतिदिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में 1 महीने तक निरंतर सेवन करने से स्त्री गर्भधारण अवश्य करती है।
  3. अश्वगंधा की जड़ के काढ़े और लुगदी में चौगुना घी मिलाकर पकाकर सेवन करने से वात रोग दूर होता है तथा स्त्री गर्भधारण करती है।
गर्भपात-बार-बार गर्भपात होने पर अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 ग्राम रस पहले 5 महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।
रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर-अश्वगंधा के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
कृमि रोग (पेट के कीड़े)-इसके चूर्ण में बराबर मात्रा में गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित सेवन करने से लाभ होता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए-अश्वगंधा का चूर्ण 2 ग्राम, धात्रि फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम मुलेठी का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
संधिवात (जोड़ों का दर्द) में-
  1. अश्वगंधा के पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल और फूल) को कूटकर, छानकर 25 से 50 ग्राम तक सेवन करने से जोड़ों का दर्द (गठियावात) दूर होता है।
  2. गठिया में अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्ते, 250 ग्राम पानी में उबालकर जब पानी आधा रह जाये तो छानकर पी लें। 1 सप्ताह पीने से ही गठिया में जकड़ा और तकलीफ से रोता रोगी बिल्कुल अच्छा हो जाता है तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
  3. अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम हो जाता है।
  4. अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर, एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर होता है।
  5. अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर 200 ग्राम पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ जन्य खांसी भी दूर होती है।
कमर दर्द-
  1. अश्वगंधा के 2-5 ग्राम चूर्ण को गाय के घी या शक्कर के साथ चाटने से कमरदर्द और नींद में लाभ होता है।
  2. असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
  3. असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
  4. 1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
नपुंसकता-
  1. अश्वगंधा का कपड़े से छना हुआ बारीक चूर्ण और चीनी बराबर मिलाकर रखें, इसको 1 चम्मच गाय के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें। इस चूर्ण को चुटकी-चुटकी भर खाते हैं और ऊपर से दूध पीते रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती हैं।
  2. अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें, इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से धो लें।

कमजोरी-
  1. असगंध एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने से शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दियों में ही इसके सेवन से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है। वृद्धावस्था दूर होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
  2. असंगध चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और तीन ग्राम शहद मिलाकर नित्य सर्दी में सेवन करने से कमजोर शरीर वाला बालक मोटा हो जाता है।
  3. अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
  4. अश्वगंधा की जड़ के महीन चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में गर्म प्रकृति वाली गाय के ताजे दूध से वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल से और कफ प्रकृति का व्यक्ति गर्म पानी के साथ एक वर्ष तक सेवन करे तो निर्बलता दूर होकर सब व्याधियों का नाश होता है और निर्बल व्यक्ति बल प्राप्त करता है।
  5. अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
  6. अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल (कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
  7. एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।

नोट : यहाँ पर प्रस्तुत आलेखों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को संकलित करके पाठकों के समक्ष सरल भाषा में प्रस्तुत करने का छोटा सा प्रयास किया गया है। पाठकों से अनुरोध है कि इनमें बताई गयी दवाओं/तरीकों का प्रयोग करने से पूर्व किसी योग्य चिकत्सक से सलाह लेना उचित होगा।